एक गांव मे एक रमेश नाम का किसान रहता था । उस किसान के पास दस एकड जमीन थी । उस दस एकड मे पाच एकड जमीन पानी वाली थी । वहा पर एक कुआ था, जिसमे पानी था। और बाकी पाच एकड जमीन बीना पानी के हि था। उस जगह कुआ नहि था। रमेश पानी वाली जमीन पर साल मे दो फसल लेता था । लेकिन बीना पानी वाली जमीन पर वह साल मे एक ही फसल लेता था । वहा पानी नही था । बीज, खाद, मजदूर, फसल कटाई, बीज बोना, उस फसल को पानी देना ये सब काम करते रमेश को बहुत खर्च आता था । लेकिन रमेश भी खुद दिनभर मजदूरो के साथ पसीना बहाकर काम करता था। जैसा वक्त आगे बढता गया मजदूरो की मजदूरी बढती गई। लेकिन खेत से जो माल नीकलता था उस माल को कभी भाव बढता नही था। इस तरह रमेश काफी परेशान रहता था । रमेश ने कभी मजदूर का पैसा देने से इंकार नही कीया। सरकार कभी खेती माल को भाव नही देती थी । आखिरकार रमेश पर कर्ज हो गए। रमेश को अपनी बिना पानी वाली पाच एकड जमीन बेचनी पडी। वह जमीन रमेश के पुरखो ने बडी मेहनत कर के जुटाई थी। इस लिए रमेश को बहुत बुरा लगा । अब रमेश सिर्फ पानी वाली पाच एकड जमीन पर ही काम करता है और अपना गुजारा करता है । लेकिन रमेश ने कभी हिम्मत नही हारी। वह हमेशा ईमानदार किसान बनकर जीया।